मैं जिनके वास्ते जलता रहा दिए की तरह!
उन्ही लोगों ने आज मुह मोड लिया गेरौ की तरह
मैंने भी आज सभी को छोड़ दिया
जिन्होने समझ लिया था मुझें मुर्दे की तरह!!
Aug 10, 2019
जब अपने हो गये पराये
Feb 6, 2017
आ गया है नन्हा सा फरिश्ता
आकाश के तारों को देखकर जागती थी तमन्ना
कोई एक तारा मेरे आँगन में भी उतरे
कोई एक तारा मेरे आँगन में भी उतरे
उतर आया है पूरा चाँद मेरे आँगन की बगीया में
और रोशन हो गया है घर का हर कौना उसकी चेहरे की चाँदनी से
और रोशन हो गया है घर का हर कौना उसकी चेहरे की चाँदनी से
चमक गया है हर पल जैसे मेरे धूमिल पड़े जीवन का
मिल गया है मकसद जैसे मुझे अपनी ज़िंदगी का .
मिल गया है मकसद जैसे मुझे अपनी ज़िंदगी का .
आ गया है नन्हा सा फरिश्ता जीसे
देख कर जी नहीं भरता चाहे देखूँ हज़ारों बार
देख कर जी नहीं भरता चाहे देखूँ हज़ारों बार
May 6, 2016
जब से हैं बंधे सात फेरों से सातों जनम
चूम ले रही हैं हर खुशी हमारे कदम !
जब से हैं बंधे सात फेरों से सातों जनम !
दरम्यां हमारे ना हाे मोहब्बत कम !!
जब से हैं बंधे सात फेरों से सातों जनम !
दरम्यां हमारे ना हाे मोहब्बत कम !!
आपके नूर से ही है रोशन समां !
लेके खुशबू तुम्हारी महकती फिजां !!
लेके खुशबू तुम्हारी महकती फिजां !!
हो दुआ पाक दिल की खुदा की कसम !
दरम्यां हमारे ना हाे मोहब्बत कम !!
दरम्यां हमारे ना हाे मोहब्बत कम !!
आपसे ही चमन अपना गुलजार है !
आपके अक्स में रब का दीदार है !!
आपके अक्स में रब का दीदार है !!
आज तक जिंदगी में जो गुजरे हैं दिन !
दूने उसके मिले आज का ये सुदिन !
ख्वाब में भी न आए कभी कोई गम !
दरम्यां हमारे ना हाे मोहब्बत कम !!
दूने उसके मिले आज का ये सुदिन !
ख्वाब में भी न आए कभी कोई गम !
दरम्यां हमारे ना हाे मोहब्बत कम !!
चूम ले रही हैं हर खुशी हमारे कदम !
जब से हैं बंधे सात फेरों से सातों जनम !
दरम्यां हमारे ना हाे मोहब्बत कम !!
जब से हैं बंधे सात फेरों से सातों जनम !
दरम्यां हमारे ना हाे मोहब्बत कम !!
Mar 5, 2016
मुझ से नैना मिला के
दीवाना कर डाला तुमने मुझ को नैना मिला के
दिल का चैन तुम ने छीना मुझसे नैना मिला के
तिरछी नजर से तुम ने मारा है जो निशाना
अपनी आदा से किया तुमने मुझको दीवाना
डॉका तुमने दिल पे डाला मुझ से नैना मिला के
दीवाना कर डाला तुमने मुझ को नैना मिला के
लचकती है कमर जैसे बांस की हाे डाली
कान में बाली आैर होंठों पर रखती हो लाली
हाय जीते जी मार डाली निधी तेरी ये जवानी
अपना बना डाली निकी तेरी ये जवानी
दीवाना कर डाला तुमने मुझ को नैना मिला के
दिल का चैन तुम ने छीना मुझ से नैना मिला के
Oct 27, 2012
तेरी मुहब्बत में
हम तेरी मुहब्बत में दिल की दुनिया लुटा बैठे |
तुम मानो या ना मानो सनम तुम को अपना बना बैठे ||
अपने मन के मंदिर में तेरा घर बना बैठे |
तुम मानो या ना मनो सनम तुम को इस घर में बसा बैठे ||
आँखों में तेरी सूरत बसा बैठे , रोग ये दिल का लगा बैठे |
तुम मानो या न मानो सनम तुम को अपना बना बैठे ||
जी ना पाउँगा तुम से अलग हो के येसा रोग लगा बैठे |
दुनिया छुट जाये साथ ना छूटेगा ये इरादा बना बैठे ||
हम तेरी मुहब्बत में दिल की दुनिया लुटा बैठे |
तुम मानो या ना मानो सनम तुम को अपना बना बैठे ||
हम तेरी मुहब्बत में दिल की दुनिया लुटा बैठे |
हम तुम से दिल लगा बैठे, चैन सकून गवा बैठे ||
कभी दुनिया से डरते थे छुप छुप के मिलते थे |
ये पर्दा भी हम हटा बैठे तुम्हे अपना बना बैठे ||
हम तेरी मुहब्बत में दिल की दुनिया लुटा बैठे |
तुम मानो या ना मानो सनम तुम को अपना बना बैठे ||
तुम मानो या ना मानो सनम तुम को अपना बना बैठे ||
अपने मन के मंदिर में तेरा घर बना बैठे |
तुम मानो या ना मनो सनम तुम को इस घर में बसा बैठे ||
आँखों में तेरी सूरत बसा बैठे , रोग ये दिल का लगा बैठे |
तुम मानो या न मानो सनम तुम को अपना बना बैठे ||
जी ना पाउँगा तुम से अलग हो के येसा रोग लगा बैठे |
दुनिया छुट जाये साथ ना छूटेगा ये इरादा बना बैठे ||
हम तेरी मुहब्बत में दिल की दुनिया लुटा बैठे |
तुम मानो या ना मानो सनम तुम को अपना बना बैठे ||
हम तेरी मुहब्बत में दिल की दुनिया लुटा बैठे |
हम तुम से दिल लगा बैठे, चैन सकून गवा बैठे ||
कभी दुनिया से डरते थे छुप छुप के मिलते थे |
ये पर्दा भी हम हटा बैठे तुम्हे अपना बना बैठे ||
हम तेरी मुहब्बत में दिल की दुनिया लुटा बैठे |
तुम मानो या ना मानो सनम तुम को अपना बना बैठे ||
May 22, 2012
क्रांतिवीर क्यों पथ में सोया ?
जीवन की बगिया में किसने कौन - कौन सा बिज बोया ?
ये तो केवल राम जी ही जाने ।
ये तो केवल राम जी ही जाने ।
सत्य के रस्ते बदल रहे हैं, आज झूठ का सहारा लेकर
मूल्यों की रक्षा हो रही हैं, अनचाहे मूल्यों को देकर
परिवर्तन का बिगुल बजा कर क्रांतिवीर क्यों पथ में सोया ?ये तो केवल राम जी ही जाने ।
सब के सर पर टोपी अना की, सब की ऊँगली एक दुसरे पर थी |
किसने कितने करोड़ कमाये , इसकी चर्चा ज़ोरों पर थी |
पछतावे के गंगा जल से, कितनो ने अन्तरघट को थोया ?
ये तो केवल राम जी ही जाने ।
गाँधी जी का काम कर रहे हैं अना जी,
सुबाश चन्द्र जी का कौन करेगा ?
ये तो केवल राम जी ही जाने |
गोरे अग्रेजो से तो हम आजाद हो गये
कालो से कब होंगे ?
ये तो केवल राम जी ही जाने |
नकली फूलो में सुगंध हैं, रंग हैं, पर मकरंद नहीं हैं
संयम शुचित हीन व्यक्ति को जीवन का आनन्द नहीं हैं
छलनाओ की मकड़ जाल में कितनो ने नैतिक बल खोया ?
ये तो केवल राम जी ही जाने ।
गणनाओं में मगन बटोही, फिसलन की भी नहीं फिकर हैं
महापतन से वही बचेगा, जिसको बस ईश्वर का डर हैं
मंदिर से नैवैघ चुराकर, कौन पुजारी कितना रोया ?
ये तो केवल राम जी ही जाने ।
Jul 26, 2011
हर पल तुम्हे याद किया करते है
चुपके चुपके फ़रियाद किया करते है
हर पल तुम्हे याद किया करते है
ये हम नहीं कहते ऑफिस वाले कहा करते है
हम प्रोग्राम की कोडिंग में भी आपका नाम टाइप कर दिया करते हैं !!
अपनी आज की मुलाकात कुछ अधूरी सी लगी ,
पास -हो -के -भी थोड़ी दुरी सी लगी ,
होठो -पे -हसी आँखों में मज़बूरी सी -लगी !!
प्यार में मौत से डरता कौन है
प्यार हो जाता है करता कौन है
आप जैसे यार पर दुनिया कुर्बान
और आप पूछते हो की हम पर मरता कौन है !!
बात ऐसी हो की जज्बात कम ना हो
ख्यालात ऐसे हो की कभी गम ना हो
दिल के कोने में इतनी सी जगह रखना
की ख़ाली ख़ाली सा लगे जब हम नहो !!
गम वो जो आंसू ला दे ,
ख़ुशी वो जो गम भुला दे ,
हमें तो चाहिए आपकी इतनी सी मोहब्बत ,
जो आपके याद करने पर हमें एक हिचकी सी हिला दे !!
ये आपसे मिलने का इंतजार बड़ा सिला देगा
गुलाब की तरह आपके चेहरे को खिला देगा
ना छोड़ना कभी मोहबत की इबादत को
मोहब्बत खुद तुम्हे मोहब्बत से मिला देगा !!
हर पल तुम्हे याद किया करते है
ये हम नहीं कहते ऑफिस वाले कहा करते है
हम प्रोग्राम की कोडिंग में भी आपका नाम टाइप कर दिया करते हैं !!
अपनी आज की मुलाकात कुछ अधूरी सी लगी ,
पास -हो -के -भी थोड़ी दुरी सी लगी ,
होठो -पे -हसी आँखों में मज़बूरी सी -लगी !!
प्यार में मौत से डरता कौन है
प्यार हो जाता है करता कौन है
आप जैसे यार पर दुनिया कुर्बान
और आप पूछते हो की हम पर मरता कौन है !!
बात ऐसी हो की जज्बात कम ना हो
ख्यालात ऐसे हो की कभी गम ना हो
दिल के कोने में इतनी सी जगह रखना
की ख़ाली ख़ाली सा लगे जब हम नहो !!
गम वो जो आंसू ला दे ,
ख़ुशी वो जो गम भुला दे ,
हमें तो चाहिए आपकी इतनी सी मोहब्बत ,
जो आपके याद करने पर हमें एक हिचकी सी हिला दे !!
ये आपसे मिलने का इंतजार बड़ा सिला देगा
गुलाब की तरह आपके चेहरे को खिला देगा
ना छोड़ना कभी मोहबत की इबादत को
मोहब्बत खुद तुम्हे मोहब्बत से मिला देगा !!
Feb 10, 2011
तुम से मोहब्बत है
तेरी चाहत तेरी जुस्तुजू इस दिल में है
मेरी जान मुझे तुम से मोहब्बत है
तेरा वो मुस्कुराना , शरमाके पलकें झुकाना
दबे होंटों से फूलों की वो सौगात याद है
फिर लगी किसकी नज़र तुम हुये दूर मुझ से
तेरी आँखों में अश्क बहते जाना याद है
मेरी कोई खता न थी , न तेरी कोई खता थी
वो बिछड़ता हुवा लम्हा वो सिसकियाँ याद है
तू लौट आएगी एक दिन मुझे है इतना यकीन
आज भी इन आँखों में तेरा इंतज़ार है
Dec 27, 2010
महंगाई की मार
आदमी पर पड़ रही हैं महंगाई की मार,
आदमी को खा रही हैं , भ्रष्ट सरकार !
देश जाये भाड़ में कुएं में लोग बाग
नेताओ को चढ़ रहा हैं , कुर्सी का बुखार !
घोटाला नेताओ के लिए खेल हो गया.
कानून बेवस्था भी इनके आगे फेल हो गया ?
हत्या बिन छपते नहीं राजधानी में अख़बार
गोली -बारी बच्चो का सा खेल हो गया ?
चोराहो पर रोज आते -जाते सब लोग
बिना बात रोज भुन- भुनाते सब लोग
मर जाता कोई अभागा भीड़ में
अपनी -अपनी रह सब बढ़ जाते लोग
कामनाए बढ़ रही हैं, बढ़ रही है भीड़
वासनाये बढ़ रही हैं , बढ़ रही हैं भीड़
कल के बगीचे श्मसान हो गए
ऊँचे घर वैश्या की दुकान हो गये
भूले अपनी भाषा, तहजीब, और लिवाश,
लोग अंपने देश में अनजान हो गये .
गाँधी जी , सुभाष सदा रहते थे यहाँ ,
मीरा, दयान्द विष पीते थे यहाँ
कल बच्चे कैसे विशवास करेंगे
बुद्ध और विवेकानंद कभी जीते थे यहाँ
आदमी को खा रही हैं , भ्रष्ट सरकार !
देश जाये भाड़ में कुएं में लोग बाग
नेताओ को चढ़ रहा हैं , कुर्सी का बुखार !
घोटाला नेताओ के लिए खेल हो गया.
कानून बेवस्था भी इनके आगे फेल हो गया ?
हत्या बिन छपते नहीं राजधानी में अख़बार
गोली -बारी बच्चो का सा खेल हो गया ?
चोराहो पर रोज आते -जाते सब लोग
बिना बात रोज भुन- भुनाते सब लोग
मर जाता कोई अभागा भीड़ में
अपनी -अपनी रह सब बढ़ जाते लोग
कामनाए बढ़ रही हैं, बढ़ रही है भीड़
वासनाये बढ़ रही हैं , बढ़ रही हैं भीड़
कल के बगीचे श्मसान हो गए
ऊँचे घर वैश्या की दुकान हो गये
भूले अपनी भाषा, तहजीब, और लिवाश,
लोग अंपने देश में अनजान हो गये .
गाँधी जी , सुभाष सदा रहते थे यहाँ ,
मीरा, दयान्द विष पीते थे यहाँ
कल बच्चे कैसे विशवास करेंगे
बुद्ध और विवेकानंद कभी जीते थे यहाँ
Oct 11, 2010
रोते क्यू हो
अपने घूंघट से यूँ चेहरे को छुपाते क्यों हो ,
मुझ से शरमाते हो तो सामने आते क्यों हो ...
तुम कभी मेरे तरह कर भी लो इकरार -ऐ- मोहबत ,
प्यार करते हो तो फिर प्यार छुपाते क्यों हो ...
अश्क आँखों में मेरे देख के रोते क्यों हो ,
दिल भर आता है तो फिर दिल को दुखते क्यों हो ...
रोज़ मर मर के मुझे जीने को कहते क्यों हो ,
मिलने आते हो तो फिर लौट के जाते क्यू हो ...
अपने घूंघट से यूँ चेहरे को छुपाते क्यू हो ,
मुझ से शरमाते हो तो सामने आते क्यू हो ...
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विजय प्रताप सिंह राजपूत
Jul 23, 2010
आपसा यहाँ कोई नहीं
शान -ऐ-महफ़िल हो आप
आपसा यहाँ कोई नहीं
जानते नहीं आप सबको मगर
आपसे अनजान यहाँ कोई नहीं
हर नज़र एक दुसरे से ये पूछती है
इतनी खूबसूरती क्या तुमने कही देखि है
छाया है नशा आपका
होश में यहाँ कोई नहीं
शान -ऐ -महफ़िल हो आप
आपसा यहाँ कोई नहीं
आपकी तारीफ के अल्फाज़ कहा से लु में
डर है कोई गुस्ताखी ना हो जाये मुझ से
कातिल हो आप दिलो के
जिंदा यहाँ कोई नहीं
शान -ऐ -महफ़िल हो आप
आपसा यहाँ कोई नहीं
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विजय प्रताप सिंह राजपूत
आपसा यहाँ कोई नहीं
जानते नहीं आप सबको मगर
आपसे अनजान यहाँ कोई नहीं
हर नज़र एक दुसरे से ये पूछती है
इतनी खूबसूरती क्या तुमने कही देखि है
छाया है नशा आपका
होश में यहाँ कोई नहीं
शान -ऐ -महफ़िल हो आप
आपसा यहाँ कोई नहीं
आपकी तारीफ के अल्फाज़ कहा से लु में
डर है कोई गुस्ताखी ना हो जाये मुझ से
कातिल हो आप दिलो के
जिंदा यहाँ कोई नहीं
शान -ऐ -महफ़िल हो आप
आपसा यहाँ कोई नहीं
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विजय प्रताप सिंह राजपूत
Jul 4, 2010
हाय ये महंगाई
महंगाई ये महंगाई हाय ये महंगाई
सुबह मेने नास्ते में सुखी रोटी ही खायी
रात को डिनर में मेंने खिचड़ी ही पकाई
ये गयी ओ गयी तनखाह खो गयी
सुबह बटुआ रिचार्जे किया मेंने तो चुराने आयी
महंगाई ये महंगाई हाय ये महंगाई.
एक बात कहू दिलदारा महगाई ने सबको मारा
अब मुस्किल हुआ गुजरा महगाई ने सबको मारा
सरकार की हेरा फेरी पागल ना बना दे सबको
सी. एन. जी. और डीजल ने मसला बिगाड़ा
अब मुस्किल हुआ गुजरा महगाई ने सबको मारा
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विजय प्रताप सिंह राजपूत
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