Sep 9, 2020

खुद को इतना भी मत बचाया कर

खुद को इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हो तो भीग जाया कर।

चाँद लाकर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरे से जगमगाया कर।

दर्द हीरा है, दर्द मोती है,
दर्द आँखो से मत बहाया कर।
काम ले कुछ हसीन होंठो से,
बातों-बातों में मुस्कुराया कर।

धूप मायूस लौट जाती है,
छत पे किसी बहाने आया कर।

कौन कहता है दिल मिलाने को,
कम से कम हाथ तो मिलाया कर।

जिंदगी को कैसे जिया जाता है

तू जिंदगी को जी
उसे समझने की कोशिश न कर

सुन्दर सपनों के ताने बाने बुन
उसमें उलझने की कोशिश न कर

चलते वक्त के साथ तू भी चल
उसमे सिमटने की कोशिश न कर

अपने हाथो को फैला खुल कर सांस ले
अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर

मन में चल रहे युद्ध को विराम दे
खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर

कुछ बाते भगवान पर छोड़ दे
सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर

जो मिल गया उसी में खुश रह
जो सुकुन छीन ले वो पाने की कोशिश न कर

रास्ते की सुंदरता का लुत्फ उठा
मंजिल पर जल्दी पहुंचने की कोशिश न कर

गुनाह है

ख्वाबों का रंगीन होना गुनाह है..
इंसान का जहीन होना गुनाह है..

कायरता समझते है लोग मधुरता को..
जुबान का शालीन होना गुनाह है..

खुद ही लग जाती है नजर..
हसरतों का हसीन होना गुनाह है..

लोग इस्तेमाल करते हैं नमक की तरह..
आंसुओं का नमकीन होना गुनाह है..

दुश्मनी हो जाती है मुफ्त में सैकड़ों से..
इंसान का बेहतरीन होना गुनाह है..