आकाश के तारों को देखकर जागती थी तमन्ना
कोई एक तारा मेरे आँगन में भी उतरे
कोई एक तारा मेरे आँगन में भी उतरे
उतर आया है पूरा चाँद मेरे आँगन की बगीया में
और रोशन हो गया है घर का हर कौना उसकी चेहरे की चाँदनी से
और रोशन हो गया है घर का हर कौना उसकी चेहरे की चाँदनी से
चमक गया है हर पल जैसे मेरे धूमिल पड़े जीवन का
मिल गया है मकसद जैसे मुझे अपनी ज़िंदगी का .
मिल गया है मकसद जैसे मुझे अपनी ज़िंदगी का .
आ गया है नन्हा सा फरिश्ता जीसे
देख कर जी नहीं भरता चाहे देखूँ हज़ारों बार
देख कर जी नहीं भरता चाहे देखूँ हज़ारों बार
वाह!!बहुत खूब!!जीवन बगिया यूँ ही महकती रहे ।
ReplyDeleteसुंदर भाव वाली कविता.
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