महंगाई ये महंगाई हाय ये महंगाई
सुबह मेने नास्ते में सुखी रोटी ही खायी
रात को डिनर में मेंने खिचड़ी ही पकाई
ये गयी ओ गयी तनखाह खो गयी
सुबह बटुआ रिचार्जे किया मेंने तो चुराने आयी
महंगाई ये महंगाई हाय ये महंगाई.
एक बात कहू दिलदारा महगाई ने सबको मारा
अब मुस्किल हुआ गुजरा महगाई ने सबको मारा
सरकार की हेरा फेरी पागल ना बना दे सबको
सी. एन. जी. और डीजल ने मसला बिगाड़ा
अब मुस्किल हुआ गुजरा महगाई ने सबको मारा
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विजय प्रताप सिंह राजपूत
Nice poem ..loved the background music of your blog..
ReplyDeletethanks so much for visiting my blog.
Thanks shikha varshney Ji
ReplyDeleteaam aadmee kee aawaz hai ye..........gujra ko aa kar dijiye gujaaraa ho jaega.......
ReplyDeletebhaut khoob dear vijay bhai lage raho..........
ReplyDeleteआप सभी लोगों का दिल से शुक्रिया
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