आदमी पर पड़ रही हैं महंगाई की मार,
आदमी को खा रही हैं , भ्रष्ट सरकार !
देश जाये भाड़ में कुएं में लोग बाग
नेताओ को चढ़ रहा हैं , कुर्सी का बुखार !
घोटाला नेताओ के लिए खेल हो गया.
कानून बेवस्था भी इनके आगे फेल हो गया ?
हत्या बिन छपते नहीं राजधानी में अख़बार
गोली -बारी बच्चो का सा खेल हो गया ?
चोराहो पर रोज आते -जाते सब लोग
बिना बात रोज भुन- भुनाते सब लोग
मर जाता कोई अभागा भीड़ में
अपनी -अपनी रह सब बढ़ जाते लोग
कामनाए बढ़ रही हैं, बढ़ रही है भीड़
वासनाये बढ़ रही हैं , बढ़ रही हैं भीड़
कल के बगीचे श्मसान हो गए
ऊँचे घर वैश्या की दुकान हो गये
भूले अपनी भाषा, तहजीब, और लिवाश,
लोग अंपने देश में अनजान हो गये .
गाँधी जी , सुभाष सदा रहते थे यहाँ ,
मीरा, दयान्द विष पीते थे यहाँ
कल बच्चे कैसे विशवास करेंगे
बुद्ध और विवेकानंद कभी जीते थे यहाँ
आदमी को खा रही हैं , भ्रष्ट सरकार !
देश जाये भाड़ में कुएं में लोग बाग
नेताओ को चढ़ रहा हैं , कुर्सी का बुखार !
घोटाला नेताओ के लिए खेल हो गया.
कानून बेवस्था भी इनके आगे फेल हो गया ?
हत्या बिन छपते नहीं राजधानी में अख़बार
गोली -बारी बच्चो का सा खेल हो गया ?
चोराहो पर रोज आते -जाते सब लोग
बिना बात रोज भुन- भुनाते सब लोग
मर जाता कोई अभागा भीड़ में
अपनी -अपनी रह सब बढ़ जाते लोग
कामनाए बढ़ रही हैं, बढ़ रही है भीड़
वासनाये बढ़ रही हैं , बढ़ रही हैं भीड़
कल के बगीचे श्मसान हो गए
ऊँचे घर वैश्या की दुकान हो गये
भूले अपनी भाषा, तहजीब, और लिवाश,
लोग अंपने देश में अनजान हो गये .
गाँधी जी , सुभाष सदा रहते थे यहाँ ,
मीरा, दयान्द विष पीते थे यहाँ
कल बच्चे कैसे विशवास करेंगे
बुद्ध और विवेकानंद कभी जीते थे यहाँ